रंग की वो फुहार दे होली
 सबको खुशियाँ अपार दे होली
 द्वेष नफरत हो दिल से छूमन्तर
 ऐसा आपस में प्यार दे होली
 नफरत की दीवार गिरा दो होली में
 उल्फत की रसधार बहा दो होली में
 झंकृत कर दे जो सबके ही तन मन को
 सरगम की वो तार बजा दो होली में
 मन में जो भी मैल बसाये बैठे हैं
 उनको अबकी बार जला दो होली में
 रंगों की बौछार रंगे केवल तन को
 मन को भी इसबार भिगा दो होली में
 प्यालों से तो बहुत पिलायी है अब तक
 आँखों से इकबार पिला दो होली में
 भाईचारा शान्ति अमन हो हर दिल में
 ऐसा ये संसार बना दो होली में
 बटवारे की जो है खड़ी बुनियादों पर
 ऐसी हर दीवार गिरा दो होली में
- गोविंद कुमार
ई-मेल: kavikumargovind@gmail.com