हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। - स्वामी दयानंद।
जैसी दृष्टि (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:आचार्य विनोबा

रामदास रामायण लिखते जाते और शिष्यों को सुनाते जाते थे। हनुमान भी उसे गुप्त रुप से सुनने के लिए आकर बैठते थे। समर्थ रामदास ने लिखा, "हनुमान अशोक वन में गये, वहाँ उन्होंने सफेद फूल देखे।"

यह सुनते ही हनुमान झट से प्रकट हो गये और बोले, "मैंने सफेद फूल नहीं देखे थे। तुमने गलत लिखा है, उसे सुधार दो।"

समर्थ ने कहा, "मैंने ठीक ही लिखा है। तुमने सफेद फूल ही देखे थे।"

हनुमान ने कहा, "कैसी बात करते हो! मैं स्वयं वहां गया और मैं ही झूठा!"

अंत में झगड़ा रामचंद्रजी के पास पहुंचा। उन्होंने कहा, "फूल तो सफेद ही थे, परंतु हनुमान की आंखें क्रोध से लाल हो रही थीं, इसलिए वे उन्हें लाल दिखाई दिये।"

इस मधुर कथा का आशय यही है कि संसार की ओर देखने की जैसी हमारी दृष्टि होगी, संसार हमें वैसा ही दिखाई देगा।

- आचार्य विनोबा

[साभार - हमारी बोध-कथाएं]

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश