अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी। प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी। प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा। प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती। प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा। प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।।
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ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै। गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ।। जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै। नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै।। नामदेव कबीरफ़ तिलोचनु सधना सैनु तरै। कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै।।
- रैदास |