रचते हैं रोज नये-नये षड्यंत्र, नेताऒं को भाता नहीं शारदे का मंत्र, लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र, ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र? राजनीति देश की विषैली हुई रे, राजनीति कड़वी-कसैली हुई रे, राजनीति रूपयों की थैली हुई रे, राजनीति देखो मैली-मैली हुई रे, बौखलाये नेता-बौखलाया जनतंत्र, राजधानी ने रचा ये कैसा राजतंत्र? लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र, ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र? धन्य हैं जी आप, आप राजनेता हैं, भारती के लिये शाप राजनेता हैं, तस्करों की नयी खाप राजनेता हैं, उग्रवादियों के बाप राजनेता हैं, राजनीति भूल गई गरिमा के मंत्र, भूल गये लोग सब एकता के मंत्र, लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र, ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र? कहीं तोड़-फोड़, कहीं हड़ताल रे, नेता सारे चलते हैं टेढ़ी चाल रे, जनता का हुआ देखो बुरा हाल रे, छूट गये धंदे, छूटी रोटी-दाल रे, बहुराष्ट्री कंपनियों का बिछ गया तंत्र, मल्टीनेशनल ने छुड़ाया स्वदेशी का मंत्र, लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र, ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र? आप से अपील देश-मान कीजिये, देश के उद्योगों की पहचान कीजिये, सीमाऒं का देश की सम्मान कीजिये, बच्चों संग घर-घर राष्ट्रगान कीजिये, वरना टूट जायेगा ये मूल गणतंत्र, पूछते फिरोगे सांप काटने का मंत्र, लोकतंत्र हो गया रे मारपीट तंत्र, ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र?
- योगेन्द्र मौदगिल, भारत। |