आँख से सपने चुराने आ गए वो हमें अपना बनाने आ गए
यूं क्या परेशां कम थी मेरी ज़िंदगी उसपे हमको तुम सताने आ गए
मैं तो कुंदन हूँ उन्हें मालूम क्या आग में मुझको तपाने आ गए
उनका कद हमसे कहीं मिलता नहीं ले आईना हमको दिखाने आ गए
जो 'ग़ज़ल' रोहित कही थी आपने अपनी कह हमको सुनाने आ गए
- रोहित कुमार 'हैप्पी' |