यहाँ हिन्दी की पाँच शीर्षस्थ कहानियों के सारांश और कहानी के लिंक दिए गए हैं। इनमें चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी, ‘उसने कहा था’, सुदर्शन की कहानी, ‘हार की जीत’, प्रेमचंद की कहानी, ‘दो बैलों की कथा’, जैनेन्द्र कुमार की कहानी, ‘पाजेब’ एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी, ‘काबुलीवाला' सम्मिलित हैं।
उसने कहा था
कहानी "उसने कहा था" चंद्रधर शर्मा गुलेरी की अमर कहानी है। यह प्रेम, वफादारी और बलिदान की एक मार्मिक कथा है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि वायदे और कर्तव्य का महत्व कितना होता है और इसे निभाने के लिए किसी भी हद तक जाना चाहिए। इस कहानी के मुख्य पात्र लहना सिंह हैं, जो एक साहसी और वफादार सैनिक हैं। लहना सिंह का चरित्र हमें सच्ची निष्ठा और साहस का परिचय देता है, जो हर पाठक को गहराई से प्रभावित करता है।
‘उसने कहा था’ युद्ध की पृष्ठभूमि में लेखक ने जीवन–सूत्र को बनाए रखने वाले आधार प्रेम की नई परिभाषा दी है। लहनासिंह और सूबेदारनी के बीच कहानी में कहीं कोई प्रेम सूत्र स्पष्ट लक्षित नहीं होता, फिर भी आपसी समझ इतनी मजबूत है कि 25 वर्ष बाद भी सूबेदारनी, लहना को अधिकार से एक काम सौंपती है कि उसे उसके पति व बेटे के प्राणों की रक्षा करनी होगी। लहना भी उसकी बात पूरे मन से स्वीकारता है और अपने प्राण देकर उनके प्राणों की रक्षा करता है। वह अपने कहे को अन्तिम साँस तक निभाता है।
अतः स्पष्ट है लेखक ने इस कहानी के माध्यम से कई नए पहलू सामने रखे हैं। कथा–शिल्प एवं भाषा की दृष्टि से इस कहानी में फ्लैशबैक शैली का अनूठा प्रयोग कर लेखक ने कहानी की रोचकता को दोगुना कर दिया है।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी, ‘उसने कहा था’ पढ़ें।
हार की जीत
(एक) माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। हार की जीत कहानी सुदर्शन की प्रसिद्ध कहानी है। कहानी बताती है कि जीवन में किसी भी चीज को पाने के लिए सामने वाले का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए| जीवन में किसी को भी धोखा नहीं देना चाहिए। 'हार की जीत' कहानी का उद्देश्य यह बतलाना है कि यदि स्वार्थ की चिन्ता नं करके परहित या मानव-कल्याण के भाव से आचरण किया जाए, तो दुष्ट व्यक्ति में भी मानवता की भावना उत्पन्न हो सकती है।
सुदर्शन की कहानी, ‘हार की जीत’ पढ़ें।
दो बैलों की कथा
इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने बताया है कि जानवरों में भी संवेदनाएँ होती हैं और वे अपने मालिक से वफादारी और प्रेम की उम्मीद रखते हैं। हीरा और मोती की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जानवरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
कहानी सरल भाषा में लिखी गई है लेकिन उसमें गहरी संवेदनाएँ और संदेश छिपे हुए हैं, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
प्रेमचंद की कहानी, ‘दो बैलों की कथा’ पढ़ें।
पाजेब
जैनेन्द्र कुमार की कहानी पाजेब बाल मनोविज्ञान पर आधारित है। उन्होंने इसे आत्मकथा शैली में लिखा है, जिसमें चित्रित घटनाएँ गौण अथवा प्रासंगिक है। कहानी में बालकों की छोटी-छोटी अभिलाषाएँ, उनके बाल सुलभ काम, क्षण में मित्रता और शत्रुता का व्यवहार, खिलौने और आभूषणों के प्रति आकर्षण और लगाव इत्यादि बाल सुलभ प्रवृत्तियां दृष्टिगोचक हैं। कहानी की मूल संवेदना बच्चों के प्रति स्नेहपूर्ण तथा कोमलता का व्यवहार करने का संदेश हैं।
जैनेन्द्र कुमार की कहानी, ‘पाजेब’ पढ़ें।
काबुलीवाला
"काबुलीवाला" रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई एक मार्मिक कहानी है, जो मानवता, प्रेम और सामाजिक संबंधों की गहराई को दर्शाती है। कहानी की शुरुआत लेखक (जो खुद एक चरित्र के रूप में प्रस्तुत हैं) की पाँच वर्षीय बेटी मिनी से होती है। मिनी एक बहुत ही चंचल और बातूनी बच्ची है। मिनी की मुलाकात काबुलीवाला से होती है, जो एक अफगानी मेवों की फेरीवाला है। काबुलीवाला का असली नाम रहमत है, लेकिन मिनी उसे काबुलीवाला ही बुलाती है।
"काबुलीवाला" कहानी प्रेम, मानवीय संबंधों और भावनाओं की गहराई को दर्शाती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि मानवता और भावनाएँ सीमाओं और संस्कृतियों से परे होती हैं। काबुलीवाला और मिनी के बीच का संबंध दर्शाता है कि सच्ची मित्रता और प्रेम उम्र, जाति, और राष्ट्रीयता के भेदभाव से मुक्त होते हैं। कहानी हमें यह भी सिखाती है कि समय के साथ सब कुछ बदल सकता है, लेकिन सच्चे भावनात्मक संबंध हमेशा जीवित रहते हैं।
रबीन्द्रनाथ टैगोर कहानी, ‘काबुलीवाला’ पढ़ें। |