भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
पुस्तक समीक्षा : विदेश में हिंदी पत्रकारिता (विविध)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार हैप्पी

विदेश में हिंदी पत्रकारिता

पुस्तक का शीर्षक: विदेश में हिंदी पत्रकारिता 
(27 देशों की हिंदी पत्रकारिता का सिंहावलोकन)
लेखक: डॉ जवाहर कर्नावट 
प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत

विदेश में हिंदी पत्रकारिता पुस्तक के लेखक डॉ जवाहर कर्नावट  बैंक ऑफ बड़ौदा से महाप्रबंधक के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। वर्तमान में रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (भोपाल) में प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र के सलाहकार हैं। 

विदेश में हिंदी पत्रकारिता पुस्तक विदेशों में हिंदी भाषा की पत्रकारिता के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति का एक व्यापक अध्ययन है। लेखक, जवाहर कर्नावट ने इस विषय पर कई वर्षों तक गहन शोध किया है। पुस्तक में विदेशों में प्रकाशित होने वाले विभिन्न हिंदी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है, साथ ही उनसे जुड़े प्रमुख व्यक्तियों और संस्थानों का भी उल्लेख किया है। 

इस पुस्तक के चार प्रमुख अध्याय हैं जिनमें गिरमिटिया देशों में हिंदी पत्रकारिता, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के देशों में हिंदी पत्रकारिता, यूरोप महाद्वीप के देशों में हिंदी पत्रकारिता एवं एशिया महाद्वीप के देशों में हिंदी पत्रकारिता सम्मिलित हैं।  

गिरमिटिया देशों में हिंदी पत्रकारिता के अंतर्गत मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, फीजी, सूरीनाम, गयाना, त्रिनिदाद-टोबेगो की हिन्दी पत्रकारिता का उल्लेख किया गया है। 

उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के देशों में हिंदी पत्रकारिता के अंतर्गत अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड की हिन्दी पत्रकारिता पर चर्चा है।  

यूरोप महाद्वीप के देशों में हिंदी पत्रकारिता के अंतर्गत ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, नार्वे, हंगरी और बुल्गारिया एवं रूस की हिन्दी पत्रकारिता पर प्रकाश डाला गया है। 

एशिया महाद्वीप के देशों में हिंदी पत्रकारिता के अंतर्गत जापान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और कतर, चीन और तिब्बत, सिंगापुर, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड एवं नेपाल की हिन्दी पत्रकारिता से पाठकों का परिचय करवाया गया है।

"विदेश में हिंदी पत्रकारिता" एक महत्वपूर्ण पुस्तक प्रमाणित होगी जो विदेश की हिंदी पत्रकारिता के विकास और प्रसार को समझने में सहायक है। लेखक जवाहर कर्नावट ने इस पुस्तक में अपने व्यापक अनुभवों और ज्ञान को साझा किया है। लेखक ने पुस्तक की भूमिका में लिखा है—
“भारत की हिंदी पत्रकारिता की तरह ही विदेशों में भी हिंदी पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है। विश्व के अनेक देशों में हिंदी पत्रकारिता की यात्रा कुछ पत्र-पत्रिकाओं के छपने-बँटने तक सीमित नहीं थी। उसका इतिहास भारतीयों की विश्व यात्रा के संघर्ष, पीड़ा और सुखद प्रतिष्ठापन तक के सफर का अहम दस्तावेज है।”

इस पुस्तक में विदेशों में हिंदी पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यापक परिचय मिलता है। विभिन्न देशों की हिन्दी पत्रकारिता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, प्रकाशनों की जानकारी और अनेक दुर्लभ पत्र-पत्रिकाओं के चित्र भी उपलब्ध करवाए गए हैं। ये जानकारियाँ उपलब्ध करवाने से ‘विदेश में हिंदी पत्रकारिता’ पुस्तक एक महत्वपूर्ण संसाधन बन जाती है, जो हिंदी मीडिया के प्रकाशन और प्रसार के बारे में जानकारी और समझ बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो  सकती है। 

पुस्तक में दिए गए तथ्य और संदर्भ विद्यार्थियों, पत्रकारों, और मीडियाकर्मियों के लिए उपयोगी हैं। इसके अतिरिक्त, यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए भी रुचिकर है जो प्रवासी भारतीय समुदायों और उनकी मीडिया संस्कृति के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।

इस पुस्तक को हिंदी पत्रकारिता, समाचार और मीडिया अध्ययन में रुचि रखने वाले पाठकों  के लिए एक अत्यंत आवश्यक संसाधन के रूप में देखा जाना चाहिए। 

पुस्तक की प्रमुख विशेषताएं

•    विदेशों में हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का एक व्यापक और सटीक विवरण।
•    विभिन्न देशों में प्रकाशित होने वाले प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का विश्लेषण।
•    इस क्षेत्र से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों और संस्थानों के योगदान का विवरण।
•    विदेशों में हिंदी पत्रकारिता के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा।

पुस्तक की भाषा

पुस्तक की भाषा सरल और सहज है, और इसे हिंदी पत्रकारिता में रुचि रखने वाले सभी पाठकों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है। पुस्तक पठनीय, रोचक और जानकारीपूर्ण है।

निष्कर्ष

"विदेश में हिंदी पत्रकारिता" हिंदी भाषा की पत्रकारिता के इतिहास और विकास में रुचि रखने वाले विद्वानों, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ पुस्तक है। यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए भी उपयोगी है जो विदेशों में रहने वाले हिन्दी मीडिया और वहाँ के भारतीय समुदाय के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।

यह पुस्तक विदेशों में हिंदी पत्रकारिता की समृद्ध परंपरा और विविधता से परिचित करवाती है। यह पुस्तक पाठकों के लिए विदेशों में हिंदी पत्रकारिता के परिदृश्य की समझ विकसित करने का एक अवसर है।

         समीक्षक : रोहित कुमार हैप्पी
         संपादक : भारत-दर्शन ऑनलाइन पत्रिका, न्यूज़ीलैंड  
         ई-मेल : editor@bharatdarshan.co.nz

*लेखक इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली हिन्दी पत्रिका ‘भारत-दर्शन’ के संपादक हैं।

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