विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य। - मन्नन द्विवेदी।
मुल्ला नसरुद्दीन के क़िस्से (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन

प्राचीन समय से कथा-कहानी एवं क़िस्से सुनने-सुनाने की परंपरा रही है। यह परंपरा मौखिक तौर पर लोकप्रिय रही है। अकबर-बीरबल, शेखचिली के अतिरिक्त मुल्ला नसरूद्दीन के क़िस्से भी लोकप्रिय हैं। यूं तो मुल्ला नसरुद्दीन तुर्की से ताल्लुक रखते थे लेकिन इनके किस्से दुनिया भर में सुनने को मिलते हैं। यहाँ मुल्ला नसरुद्दीन के क़िस्से संकलित किए जा रहे हैं।

मुल्ला नसरुद्दीन होजा (1208 -1285 ई) तुर्की और संभवतः इस्लामी देशों का सर्वाधिक लोकप्रिय विनोदी चरित्र है। तुर्की भाषा में 'होजा' शब्द का अर्थ है--शिक्षक या विद्वान। मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई और वाकपटुता के किस्से संभवतः किसी वास्तविक इमाम पर आधारित हैं। कहा जाता है कि उसका जन्म तुर्की के होरतो नामक एक गाँव में हुआ था और वर्ष 1237 में वह अक्सेहिर नामक मध्यकालीन नगर में बस गया, वहीं उसकी मृत्यु हुई।

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