12 सितंबर 2020 (ऑकलैंड) : न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित भारत-दर्शन ऑनलाइन हिंदी पत्रिका ने हिंदी दिवस के उपलक्ष में एक ऑनलाइन हिंदी उत्सव का आयोजन किया। न्यूज़ीलैंड में यह अपनी तरह का पहला ऑनलाइन आयोजन था जिसकी अध्यक्षता न्यूज़ीलैंड में भारत के उच्चायुक्त, मुक्तेश परदेशी ने की।
इस अवसर पर पद्मश्री डॉ भारती बंधु मुख्य अतिथि थे। इसके अतिरिक्त विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के महासचिव 'प्रो विनोद मिश्र', केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मण्डल के उपाध्यक्ष, 'श्री अनिल शर्मा', भारत के मानद कौंसल 'श्री भाव ढिल्लो' इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि थे। उच्चायोग के द्वितीय सचिव, 'श्री परमजीत सिंह' भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
इस ऑनलाइन हिंदी उत्सव में कई वैबसाइट्स व हिंदी सॉफ्टवेयर को लोकार्पित किया गया। सर्वप्रथम उच्चायुक्त, मुक्तेश परदेशी ने दो वैब साइट्स का लोकार्पण किया जिनमें कबीरदास की वैब साइट 'कहत कबीर' व 'वाणी से टंकण' जिसमें आप बोलकर हिंदी टाइप कर सकते हैं, सम्मिलित हैं। उन्होंने बोलकर टाइप किया और फिर अपने लैपटॉप को कैमरे की ओर करते हुए सब ऑनलाइन जुड़े हुए अतिथियों और भारत-दर्शन के पाठकों को वैब साइट दिखाई। उच्चायुक्त महोदय ने इसे हिंदी के लिए बहुत उपयोगी बताया। उन्होंने इसका उपयोग करते हुए कहा, 'अरे, यह तो बहुत उपयोगी है। इसके लिए सबसे पहले तो मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद औरशुभकामनाएं देना चाहूंगा कि आपने ऐसा वाणी से टंकण शुरू किया है।
विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के महासचिव 'प्रो विनोद मिश्र' ने ऑनलाइन उत्सव में भारत-दर्शन पत्रिका का प्रशांत अध्याय लोकार्पित किया। 'प्रशांत के हिंदी साहित्यकार और उनकी रचनाएं' नामक वैब पृष्ठ में न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और फीजी के साहित्यकारों के जीवन परिचय और रचनाएँ संकलित की गयी हैं। उन्होंने अपने ऑनलाइन सम्बोधन में कहा, "मैं यह देखकर प्रसन्नचित हूँ कि जो काम विश्व हिंदी सचिवालय को करना चाहिए, वह काम आप लोग कर रहे हैं। मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि हमारे बीच उच्चायुक्त, 'परदेशी' जी भी हैं। मैं विश्व हिंदी सचिवालय की ओर से उनका व सभी कलाकारों का जो यहां इकट्ठे हुए हैं, सभी का स्वागत करता हूँ। इस तकनीकी युग में हम यह जानते हैं कि ज्ञान पर उसी भाषा का अधिकार होता है जिसके हाथ में सत्ता होती है। सूचना और प्रौद्योगिकी के युग में हिंदी में बोलकर विराम चिन्हों सहित टाइप होना अद्भुत है।' उन्होंने कहा कि 'भारत-दर्शन' का कार्य सराहनीय और अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि 'रोहित जी' अकेले ही कई संस्थाओं से अधिक हिंदी का कार्य कर रहे हैं और हमें इन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए।उच्चायुक्त परदेशी जी द्वारा लोकार्पित 'वाणी से टंकण' की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें विराम चिन्हों का काम करना इसे अत्यंत उपयोगी और अद्भुत बनाता है।
केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मण्डल के उपाध्यक्ष, 'अनिल शर्मा' ने डिजिटल पुस्तकालय का लोकार्पण करते हुए शुभकामनायें दीं।
उन्होंने अपने सम्बोधन में रोहित कुमार हैप्पी को हिंदी का स्तम्भ बताया। उन्होंने कहा, 'रोहित जी तो हमारे स्तम्भ हैं हिंदी के। उन्होंने कहा वे केवल न्यूज़ीलैंड में ही नहीं बल्कि पूरे प्रशांत में सक्रिय हैं। वे ज्यों-ज्यों प्रौढ़ हो रहे हैं, उनकी पत्रिका युवा होती जा रही है। भारत-दर्शन की 24 वर्ष की यात्रा हम सब के लिए वास्तव में बहुत प्रेरणादायक है।' उन्होंने भारत-दर्शन के सम्पादक रोहित कुमार हैप्पी को बधाई देते हुए पत्रिका के 24 वर्षीय इतिहास को भी रेखांकित किया और बताया कि हिंदी के प्रति उनका लगाव एक जुनून की हद तक है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय हिंदी संस्थान और वैश्विक की ओर से वे हर संभव अपेक्षित सहायता उपलब्ध करने का भरसक प्रयत्न करेंगे।'
भारत के मानद कौंसल भाव ढिल्लो ने अपने सम्बोधन में हिंदी उत्सव के अध्यक्ष उच्चायुक्त परदेशी, मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ भारती बंधु, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के महासचिव 'प्रो विनोद मिश्र', केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मण्डल के उपाध्यक्ष, 'श्री अनिल शर्मा' व ऑनलाइन जुड़ने वाले सभी अतिथियों और आगंतुकों का आभार जताया। उन्होंने कहा, "मैं आप सबका आभारी हूँ कि आप सब ने एकत्रित होकर हमारा मान बढ़ाया है।" उन्होंने भारत-दर्शन के सम्पादक की सराहना करते हुए कहा, "हमें इस बात का गर्व है कि हमारे शहर में एक ऐसा हीरा है जो पूरे विश्व में अपने हिंदी के काम के लिए जाना जाता है। अपनी निस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है। रोहित जी, इस देश के हिंदी के राजदूत है और आप सबने इनके बारे में जो कहा, मैं उसका साक्षी हूँ। धन्यवाद।"
पद्मश्री डॉ भारती बंधु ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए 'भारत-दर्शन' की सराहना की और शुभकामनाएं देने के बाद अपनी 'कबीर गायन' की प्रस्तुति दी। पद्मश्री डॉ भारती बंधु ने लगभग एक घंटे कबीर गायन किया। सभी अतिथि और श्रोता उनके गायन को भावविभोर हो सुनते रहे। उन्होंने अपने अद्वितीय गायन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
अंत में हिंदी उत्सव के अध्यक्ष उच्चायुक्त, मुक्तेश परदेशी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में इस ऑनलाइन उत्सव के लिए पत्रिका के सम्पादक रोहित कुमार 'हैप्पी' की सराहना की। उन्होंने कहा, ' मैं क्या कहूं? अति सुन्दर! बहुत खूब! मैं डॉक्टर भारतोई बंधु और उनके साथियों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें देना चाहूंगा। मैं सोच रहा था कि आज की गोष्ठी की व्याख्या मैं किस प्रकार करूँ। आज की यह गोष्ठी जो लगभग डेढ़ घंटा चली है इसकी पांच सतहें हैं। सबसे पहली सतह 'भाषा' की, आज हम हिंदी दिवस मना रहे हैं तो भाषा के नाम पर हम जुड़ें। भाषा के जरिये हम दूसरी सतह हिंदी साहित्य तक गए। कबीर भक्ति काल के सबसे बड़े कवियों में से हैं। तीसरा पक्ष रहा 'संस्कृति' - कबीर भारतीय संस्कृति को उजागर कर रहे हैं। आज हमने कबीर और उनका संगीतमय रूपांतरण सुना। चौथा पहलु 'भक्ति' था। और पांचवा जो बहुत महत्वपूर्ण है, इसका डिजिटल मंच से प्रस्तुतिकरण। अधिकतर लोग जो हिंदी की बात करते हैं उनका डिजिटल संसार से कोई नाता नहीं है, इसलिए वे हिंदी को आधुनिकता से जोड़ नहीं पाते। हम मानकर चलते हैं कि जो आधुनिक है, वह अंग्रेज़ी है। जो पुराना है, पीछे है वह हमारी भाषाएँ हैं। आज रोहित जी ने जो आयोजन किया उससे यह दिखाया कि हिंदी से जुड़े हुए लोग किसी तरह भी से पीछे नहीं हैं। वे आधुनिक है। तकनीक को भाषा कैसे समाहित करती है, ये आज के कार्यक्रम में दिखाई देता है। आज जो कार्यक्रम हुआ, उसमें पांच सतहें थी और इससे बढ़िया हिंदी दिवस नहीं हो सकता। मैं कार्यक्रम के आयोजकों को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा।"
उन्होंने आगे कहा,"हिंदी भारत को एकता के सूत्र में पिरोती है। हिंदी और भारत की अन्य भाषाओं में कोई मतभेद नहीं है।जबभी हम भाषा की बात करते हैं तो दूसरी भारतीय भाषाओं की भी बात आती है। हमारा अन्य भारतीय भाषाओं से भी उतना ही नाता है जितना हिंदी से। हिंदी विश्व भाषा के रूप में उभरी है। अगले वर्ष फीजी में विश्व हिंदी सम्मेलन होगा तो प्रशांत में हिंदी की परिस्थितियां केंद्र में होंगीं। प्रशांत के देशों में हिंदी पर अधिक चर्चा होगी। मैं चाहूंगा की न्यूज़ीलैंड में हिंदी से जुड़े हुए लोग उसकी अभी से तैयारी करें। "
इसके बाद डॉ पुष्पा भरद्वाज-वुड ने भारत-दर्शन की ओर से मुख्य अतिधि, अध्यक्ष महोदय, विशिष्ट अतिथियों व ऑनलाइन जुड़े हुए भारत-दर्शन के मित्रों को धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्पादक रोहित कुमार ने अपने सन्देश में देश-विदेश से जुड़े हुए सभी भारत-दर्शन के मित्रों, पाठको व सहयोगियों का हार्दिक आभार जताया। भारत-दर्शन 24 वर्ष का हो गया है, इसके लिए भी सब सहयोगियों को आभार जताया। भारती बंधु के समापन गायन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।
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भारत-दर्शन ऑनलाइन पत्रिका (न्यूज़ीलैंड) के ऑनलाइन हिंदी उत्सव के समय लोकार्पित वैब साइट्स और हिंदी सॉफ्टवेयर के लिंक :
कहत कबीर https://kahatkabir.com/
वाणी से टंकण https://www.bharatdarshan.co.nz/voice-type-2020/
प्रशांत के हिंदी साहित्यकार और उनकी रचनाएं
https://www.bharatdarshan.co.nz/magazine/articles/1467/prashant-ke-hindi-sahityakar.html
डिजिटल पुस्तकालय
https://ebooks.bharatdarshan.co.nz/ |