फ़िराक़ गोरखपुरी का जीवन परिचय
उर्दू के मशहूर शायर फ़िराक़ गोरखपुरी का जन्म 1896 में गोरखपुर (उ. प्र.) में हुआ था। फ़िराक़ का पूरा नाम रघुपति सहाय था। शायरी में अपना उपनाम 'फ़िराक' लिखते थे। पेशे से वकील पिता मुंशी गोरख प्रसाद भी शायर थे। शायरी फ़िराक़ को विरासत में मिली थी। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की और उनकी नियुक्ति डिप्टी कलेक्टर के पद पर हो गई। इसी बीच गांधी जी ने असहयोग आंदोलन छेड़ा तो फ़िराक़ उसमें सम्मिलित हो गए। नौकरी गई और जेल की सज़ा मिली। कुछ दिनों तक वे आनंद भवन. इलाहाबाद में पंडित नेहरू के सहायक के रूप में कांग्रेस का काम भी देखते रहे। बाद में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के शिक्षक के रूप में काम किया।
फ़िराक़ गोरखपुरी ने बड़ी मात्रा में रचनाएं कीं। उनकी शायरी बड़ी उच्चकोटि की मानी जाती है। वे बड़े निर्भीक शायर थे। उनके कविता-संग्रह 'गुलेनग्मा' पर 1960 में उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला और इसी रचना पर वे 1970 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे।
निधन : 1982 में फ़िराक़ साहब का देहांत हो गया।
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