राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।
झिलमिल आई है दीवाली (काव्य)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

जन-जन ने हैं दीप जलाए
लाखों और हजारों ही
धरती पर आकाश आ गया
सेना लिए सितारों की
छुप गई हर दीपक के नीचे
देखो आज अमावस काली
सुंदर-सुंदर दीपों वाली
झिलमिल आई है दीवाली

[भारत-दर्शन संकलन]

 

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