क्या आप जानते हैं कि हिंदी की पहली लघुकथा कौनसी है?
हिंदी की पहली लघुकथा कौनसी है, इस विषय में हमारे विद्वान् एकमत नहीं। हाँ, बहुमत की बात करें तो अधिकतर का मत है कि माधवराव सप्रे की 'टोकरी भर मिट्टी' जोकि 'छत्तीसगढ़ मित्र' पत्रिका में 1901 में प्रकाशित हुई थी, पहली लघुकथा कही जा सकती है।
निःसंदेह इस विषय में माधवराव सप्रे की 'टोकरी भर मिट्टी' को बहुमत प्राप्त है लेकिन इसपर चर्चा और शोध अभी जारी है। क्योंकि अभी तक 'लघुकथा' विधा के शिल्प, आकार-प्रकार और परिभाषा को लेकर चर्चा-परिचर्चा जारी है यथा किसी भी प्रकार की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
जिस प्रकार विभिन्न हिन्दी कहानियाँ 'पहली कहानी' होने की दावेदार रही हैं, उसी प्रकार विभिन्न 'लघुकथाएं' भी 'पहली लघुकथा' होने की दौड़ में सम्मिलित हैं। आज भी इसपर चर्चा-परिचर्चा होती है। निम्नलिखित लघुकथाएं 'पहली लघुकथा होने की दावेदार रही हैं:
- अंगहीन धनी (परिहासिनी, 1876) - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- अद्भुत संवाद (परिहासिनी, 1876) - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- बिल्ली और बुखार (प्रामाणिकता अप्राप्य) - माखनलाल चतुर्वेदी
- एक टोकरी भर मिट्टी (छत्तीसगढ़ मित्र, 1901) - माधवराव सप्रे
- विमाता (सरस्वती, 1915) छबीलेलाल गोस्वामी
- झलमला (सरस्वती, 1916) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
- बूढ़ा व्यापारी (1919) आचार्य जगदीश चन्द्र मिश्र
- प्रसाद (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- गूदड़ साईं (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- गुदड़ी में लाल (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- पत्थर की पुकार (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- उस पार का योगी (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- करुणा की विजय (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- खण्डहर की लिपि (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- कलावती की शिक्षा (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- चक्रवर्ती का स्तम्भ (प्रतिध्वनि, 1926) जयशंकर प्रसाद
- बाबाजी का भोग (प्रेम प्रतिमा, 1926) प्रेमचंद
'हिंदी की पहली लघुकथा कौनसी है?' इस प्रश्न का उत्तर तो जटिल है परंतु हमारा प्रयास है कि इन सभी लघुकथाओं को 'भारत-दर्शन' में प्रकाशित किया जाए। यहाँ इसी प्रयास के अंतर्गत इन्हीं में से कुछ लघुकथाएं यहाँ प्रकाशित की हैं। पाठकों को रोचक व पठनीय लगेंगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
प्रस्तुति: रोहित कुमार 'हैप्पी' |