तेनालीराम दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के लोक-जीवन का एक सुपरिचित नाम है। जो स्थान उत्तर भारत में बीरबल का है, वही स्थान तेनालीराम को दक्षिण भारत में प्राप्त है।
दक्षिण भारत के विजयनगर के महाराजा कृष्णदेव राय की गिनती श्रेष्ठ शासकों में की जाती है। उनके शासनकाल को इतिहास में स्वर्णिम काल बताया गया है। उन्हीं के दरबार में एक दरबारी थे तेनालीराम। वे अपनी विद्वता और हाजिरजवाबी के लिए प्रसिद्ध हैं। कठिन से कठिन प्रश्नों और पेचीदी समस्याओं को वो पलक झपकते ही हल कर देते थे। उनकी बुद्धि का लोहा देश भर के विद्वान मानते थे। तेनाली राजा कृष्णदेवराय के चहेते थे।
दक्षिण भारत की लोक-कथाओं में तेनालीराम का पूरा नाम 'कृष्णस्वामी तेनालीराम मुदलियार' उल्लेखित है, परन्तु कुछ इतिहासकर तेनालीराम का वास्तविक नाम रामलिंगम् मानते हैं। तेनालीराम का जन्म गुंटूर जिले के ‘गलीपाडु' नामक कस्बे में हुआ था। तेनाली का बचपन अपने मामा के यहाँ 'तेनालि' नामक कस्बे में व्यतीत हुआ था। इसीलिए लोग उनके वास्तविक नाम की अपेक्षा उन्हें तेनाली पुकारने लगे।
तेनालीराम के किस्से बहुत लोकप्रिय हैं। तेनालीराम की हास्य-कथाएँ न केवल स्वस्थ मनोरंजन करती हैं बल्कि बुद्धि का विकास और वाकपटुता की प्रेरणा भी देती हैं। तेनालीरम केवल बालकों को को ही नहीं बल्कि बड़े-बूढ़ों में भी ख़ूब लोकप्रिय हैं।
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