दुनिया मतलब की गरजी, अब मोहे जान पडी ।।टेक।। हरे वृक्ष पै पछी बैठा, रटता नाम हरी। प्रात भये पछी उड चाले, जग की रीति खरी ।।१।।
जब लग बैल वहै बनिया का, तब लग चाह घनी । थके बैल को कोई न पूछे, फिरता गली गली ।।२।।
सत्त बाध सत्ती उठ चाली, मोह के फन्द पड़ी। 'द्यानत' कहै प्रभू नहि सुमरया, मुरदा संग जली ।।३।।
- द्यानत
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