देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।
लेखिका कृष्णा सोबती का निधन  (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन समाचार

25 जनवरी 2019 (भारत) हिन्दी लेखिका कृष्णा सोबती का आज सुबह एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 वर्ष की थी। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त था।

कृष्णा सोबती भारत की सवतंत्रता के पश्चात् हिन्दी के श्रेष्ठ एवं लोकप्रिय साहित्यकारों में से एक थी।

अस्वस्थ होने कइ कारण उन्हें 30 नवम्बर को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहाँ आज (25 जनवरी 2019) सुबह साढ़े आठ बजे उनका निधन हो गया। वह उन्होंने हिन्दी गद्य को एक नई शैली दी थी।

सोबती का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट के विद्युत शवदाह गृह में आज शाम चार बजे किया जायेगा।

कृष्णा जी को 1980 में ‘जिन्दगीनामा' उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

18 फरवरी 1925 को पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के गुजरात में जन्मी श्रीमती सोबती देश विभाजन के बाद दिल्ली आईं और यहीं बस गयीं। ‘बादलों के घेरे' कहानी से 50 के दशक के नई कहानी आन्दोलन में प्रकाश में आयीं सोबती के उपन्यास ‘मित्रों मरजानी' ने उन्हें साहित्य में स्थापित कर दिया। इस कृति पर गत चार दशक में अनेक मंचन भी हुए। यारों के यार तीन पहाड़, सूरजमुखी अँधेरे के, जिंदगीनामा समय-सरगम, हम हशमत और ऐ लड़की उनकी चर्चित कृतियाँ हैं।

 

 

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश