विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य। - मन्नन द्विवेदी।
वह पुरुष ! (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:एलबर्ट आइन्सटीन

गांधीजी अपनी जनता के ऐसे नेता थे, जिसे किसी बाह्य सत्ता की सहायता प्राप्त नहीं थी। वे एक ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जिसकी सफलता न चालाकी पर आधारित थी और न किसी शिल्पिक उपायों के ज्ञान पर, बल्कि मात्र उनके व्यक्तित्व की दूसरों को कायल कर देने की शक्ति पर ही आधारित थी। वे एक ऐसे विजयी योद्धा थे, जिसने बल-प्रयोग का सदा उपहास किया। वे बुद्धिमान, नम्र, दृढ़-सकल्पी और अडिग निश्चय के व्यक्ति थे। उन्होने अपनी सारी ताकत अपने देशवासियो को उठाने और उनकी दशा सुधारने में लगा दी। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिसने यूरोप की पाशविकता का सामना सामान्य मानवी यत्न के साथ किया और इस प्रकार सदा के लिए सबसे ऊँचे उठ गए। ।

आने वाली पीढिया शायद मुश्किल से ही यह विश्वास कर सकेगी कि गांधीजी जैसा हाड़-मास का पुतला कभी इस धरती पर हुआ होगा।

[गाँधी श्रद्धांजलि ग्रन्थ]

 

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