शेखचिल्ली जवान हो चला तो एक दिन मां ने कहा- 'मियां कुछ काम-धंधा करने की सोचो!'
बस, शेखचिल्ली गांव से निकल पड़े काम की तलाश में। माँ से यात्रा के लिए खाने का प्रबंध करने को कहा तो माँ ने रास्ते के लिए सात रोटियां बनाकर दे दीं।
शेखचिल्ली गांव से काफी दूर निकल आए तो एक कुआं दिखाई दिया, वहीं बैठ गए। सोचा रोटियां खा लूं। वह रोटी गिनते हुए कहने लगा- 'एक खाऊँ, दो खाऊँ, तीन खाऊँ, चार खाऊँ या सातों ही खा जाऊं?
उस कुएं में सात परियां रहती थीं। उन्होंने शेखचिल्ली की आवाज सुनी तो वे डर के मारे बाहर आ गईं। उन्होंने शेखचिल्ली से कहा- 'देखो, हमें मत खाना। हम तुम्हें यह घड़ा देते हैं। इससे जो मांगोगे यह वह देगा। शेखचिल्ली मान गया।
वह रोटियां और घड़ा लेकर वापस घर लौट आया। अब तो जो उसे चाहिए बस घड़े से कह देता और मिल जाता। माँ भी प्रसन्न हो गई। शेखचिल्ली अपनी माँ के साथ सुख से रहने लगा।
[भारत-दर्शन संकलन] |