आलपीन के सिर होता पर बाल न होता उसके एक ।
कुर्सी के दो बाँहें हैं पर गेंद नहीं सकती है फेंक ।
कंधी के हैं दाँत मगर वह चबा नहीं सकती खाना ।
गला सुराही का है पतला किंतु न गा सकती गाना ।
होता है मुँह बड़ा घड़े का पर वह बोल नहीं सकता ।
चार पैर पलंग के होते पर वह डोल नहीं सकता ।
जूते के है जीभ मगर वह स्वाद नहीं चख सकता है ।
आँखें होते हुए नारियल देख नहीं कुछ सकता है ।
है मनुष्य के पास सभी कुछ ले सकता है सबसे काम इसीलिए दुनिया में सबसे बढ़कर है उसका ही नाम।
- रमापति शुक्ल [ बाल भारती 2002] |