जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
घमंड कब तक  (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:अयोध्याप्रसाद गोयलीय

"नानी, यह ऊँट इतना उछल-कूद क्यों रहा है?"

"इसे अपनी ऊँचाई पर घमंड हो गया है बेटे!"

"यह घमंड कब दूर होगा, नानी?"

"जब यह किसी पहाड़ के नीचे-से निकलेगा, इसका घमंड पानी-पानी हो जाएगा।"

- अयोध्याप्रसाद गोयलीय
[ साभार - कुछ मोती कुछ सीप ]

 

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