हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय।
 

कोयल

 (बाल-साहित्य ) 
 
रचनाकार:

 सुभद्रा कुमारी

देखो कोयल काली है, पर मीठी है इसकी बोली!
इसने ही तो कूक-कूक कर आमों में मिसरी घोली॥
यही आम जो अभी लगे थे, खट्टे-खट्टे, हरे-हरे।
कोयल कूकेगी तब होंगे, पीले और रस भरे-भरे॥
हमें देखकर टपक पड़ेंगे, हम खुश होकर खाएंगे।
ऊपर कोयल गायेगी, हम नीचे उसे बुलाएंगे॥

कोयल! कोयल! सच बतलाओ, क्‍या संदेशा लाई हो?
बहुत दिनों के बाद आज फिर, इस डाली पर आई हो॥
क्‍या गाती हो, किसे बुलाती, बतला दो कोयल रानी।
प्‍यासी धरती देख, माँगती हो क्‍या मेघों से पानी?
या फिर इस कड़ी धूप में हमको देख-देख दुःख पाती हो,
इसीलिए छाया करने को तुम बादल बुलवाती हो॥
जो कुछ भी हो, तुम्हें देख कर हम कोयल, खुश हो जाते हैं।
तुम आती हो - और न जाने हम क्या-क्या पा जाते हैं॥
नाच-नाच उठते हम नीचे, ऊपर तुम गाया करती।
मीठे-मीठे आम रास भरे, नीचे टपकाया करती ॥
उन्हें उठाकर बड़े मजे से, खाते हैं हम मनमाना ।
आमों से भी मीठा है, पर कोयल रानी का गाना ॥

कोयल! यह मिठास क्‍या तुमने अपनी माँ से पाई है?
माँ ने ही क्‍या तुमको मीठी बोली यह सिखलाई है॥
हम माँ के बच्चे हैं, अम्मा हमें बहुत है प्यारी हैं।
उसी तरह क्या कोई अम्मा कोयल कहीं तुम्हारी है?
डाल-डाल पर उड़ना-गाना जिसने तुम्‍हें सिखाया है।
सबसे मीठा-मीठा बोलो! - यह भी तुम्‍हें बताया है॥
बहुत भ‍ली हो, तुमने माँ की बात सदा ही है मानी।
इसीलिए तो तुम कहलाती हो सब चिड़ियों की रानी॥
शाम हुई, घर जाओ कोयल, अम्मा घबराती होंगी।
बार-बार वह तुम्हे देखने द्वारे तक आती होंगी॥
हम जाते हैं तुम भी जाओ, बड़े सवेरे आ जाना।
हम तरु के नीचे नाचेंगे, तुम ऊपर गाना गाना॥

- सुभद्रा कुमारी चौहान

[ Koyal by Subhadra Kumari Chauhan]

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश