यह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत । स्वयं बिखरने वाली इसकी, पंखुड़ियाँ बिखराना मत ॥ जीवन की अन्तिम घड़ियों में, देखो, इसे रुलाना मत ॥
अगर हो सके तो ठण्डी - बूँदें टपका देना, प्यारे । जल न जाए संतप्त हृदय, शीतलता ला देना प्यारे ॥
- सुभद्रा कुमारी चौहान |