हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय।
 

मुरझाया फूल | कविता

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 सुभद्रा कुमारी

यह मुरझाया हुआ फूल है,
इसका हृदय दुखाना मत ।
स्वयं बिखरने वाली इसकी,
पंखुड़ियाँ बिखराना मत ॥
जीवन की अन्तिम घड़ियों में,
देखो, इसे रुलाना मत ॥

अगर हो सके तो ठण्डी -
बूँदें टपका देना, प्यारे ।
जल न जाए संतप्त हृदय,
शीतलता ला देना प्यारे ॥

- सुभद्रा कुमारी चौहान

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश