हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी है बहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवाली
गहने गढ़ाते जाओ सर पर चढ़ाते जाओ
वह मुटाती जाए पसीने से गंधाती जाए घर का माल मैके पहुँचाती जाए
पड़ोसिनों से जले कचरा फेंकने को ले कर लड़े
घर से तो खैर निकलने का सवाल ही नहीं उठता औरतों को जो चाहिए घर ही में है
एक महाभारत है एक रामायण है तुलसीदास की भी राधेश्याम की भी एक नागिन की स्टोरी बमय गाने और एक खारी बावली में छपा कोकशास्त्र एक खूसट महरिन है परपंच के लिए एक अधेड़ खसम है जिसके प्राण अकच्छ किए जा सकें एक गुचकुलिया-सा आँगन कई कमरे कुठरिया एक के अंदर एक बिस्तरों पर चीकट तकिए कुरसियों पर गौंजे हुए उतारे कपड़े फर्श पर ढंनगते गिलास खूँटियों पर कुचैली चादरें जो कुएँ पर ले जाकर फींची जाएँगी
घर में सबकुछ है जो औरतों को चाहिए सीलन भी और अंदर की कोठरी में पाँच सेर सोना भी और संतान भी जिसका जिगर बढ गया है जिसे वह मासिक पत्रिकाओं पर हगाया करती है और जमीन भी जिस पर हिंदी भवन बनेगा
कहनेवाले चाहे कुछ कहें हमारी हिंदी सुहागिन है सती है खुश है उसकी साध यही है कि खसम से पहले मरे और तो सब ठीक है पर पहले खसम उससे बचे तब तो वह अपनी साध पूरी करे ।
- रघुवीर सहाय |