भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
जो कुछ होनी थी, सब होली! धूल उड़ी या रंग उड़ा है,हाथ रही अब कोरी झोली। आँखों में सरसों फूली है,सजी टेसुओं की है टोली। पीली पड़ी अपत, भारत-भू,फिर भी नहीं तनिक तू डोली ! - मैथिलीशरण गुप्त
[साभार: स्वदेश-संगीत, साहित्य-सदन, चिरगाँव, झाँसी]
Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand
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