भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
ज़ंजीरों से चले बाँधनेआज़ादी की चाह।घी से आग बुझाने कीसोची है सीधी राह!
हाथ-पाँव जकड़ो,जो चाहोहै अधिकार तुम्हारा।ज़ंजीरों से क़ैद नहींहो सकता ह्रदय हमारा!
-सोहनलाल द्विवेदी
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