लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती नन्ही चींटीं जब दाना ले कर चढ़ती है चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है मन का विश्वास रगॊं मे साहस भरता है चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है मेहनत उसकी बेकार नहीं हर बार होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है जा-जा कर खाली हाथ लौट कर आता है मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
- सोहनलाल द्विवेदी
[ यह कविता इस विवाद में रही है कि इसके रचियता 'बच्चन' हैं या 'निराला' लेकिन इसके वास्तविक रचनाकार हैं सोहनलाल द्विवेदी ]
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि इस रचना के वास्तविक रचनाकर का पता लगाने के लिए 'भारत-दर्शन' के प्रयास सफल रहे। अमिताभ बच्चन को ट्विटर के माध्यम से हमने इस बारे में सम्पर्क किया और उन्होंने ट्विटर व फेसबुक के माध्यम से इस बात की पुष्टि की कि यह रचना उनके 'बाबूजी' की न होकर 'सोहनलाल द्विवेदी की ही है।'
अमिताभ बच्चन के ट्विटर व फेसबुक आप निम्न पृष्ठों पर देख सकते हैं:
https://twitter.com/srbachchan/status/19327863853
http://www.twitlonger.com/show/n_1snvpi8
https://www.facebook.com/AmitabhBachchan/posts/1153934214640366
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