इस पृष्ठ पर रोहित कुमार हैप्पी की छोटी कविताएं संकलित की गयी हैं।
कवि
तुम्हारी कलम में वो 'पीर' नहीं। तुमने शब्द गढ़े, जीये नहीं। तुम कवि तो हुए कबीर नहीं!
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
स्पष्टीकरण
हाँ, मैंने कहा था-- अच्छे दिन आएँगे। कब कहा था, लेकिन -- तुम्हारे?
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
खोजिए
भीड़ है शब्द हैं, नगाड़े हैं। लेकिन, गुम है-- इंसान, ओज और ताल।
खोजिए, मिल जाएं शायद-- भीड़ में इंसान शब्दों में ओज और नगाड़ों में ताल।
-रोहित कुमार 'हैप्पी' |