नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुई पुरानी। बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी। बेटी-युग में बेटा-बेटी, सभी पढ़ेंगे, सभी बढ़ेंगे। फौलादी ले नेक इरादे, खुद अपना इतिहास गढ़ेंगे। देश पढ़ेगा, देश बढ़ेगा, दौड़ेगी अब, तरुण जवानी। नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुईं पुरानी। बेटा शिक्षित, आधी शिक्षा, दोनों शिक्षित पूरी शिक्षा। हमने सोचा,मनन करो तुम, सोचो समझो करो समीक्षा। सारा जग शिक्षामय करना,हमने सोचा मन में ठानी। नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुईं पुरानी। अब कोई ना अनपढ़ होगा, सबके हाथों पुस्तक होगी। ज्ञान-गंग की पावन धारा, सबके आँगन तक पहुँचेगी। पुस्तक और कलम की शक्ति,जग जाहिर जानी पहचानी। नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुईं पुरानी। बेटी-युग सम्मान-पर्व है, पुर्ण्य-पर्व है, ज्ञान-पर्व है। सब सबका सम्मान करे तो, जन-जन का उत्थान-पर्व है। सोने की चिड़िया तब बोले,बेटी-युग की हवा सुहानी। नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुई पुरानी। बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।
- आनन्द विश्वास |