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आज वह रोयायह सोचते हुए कि रोनाकितना हास्यास्पद हैवह रोया
मौसम अच्छा थाधूप खिली हुईसब ठीक-ठाकसब दुरुस्तबस खिड़की खोलते हीसलाखों से दिख गयाज़रा-सा आसमानऔर वह रोया
फूटकर नहींजैसे जानवर रोता है माँद मेंवह रोया।
- केदारनाथ सिंह
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