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कुछ खून से बने हुएकुछ आप हैं चुने हुएऔर कुछ...हमने बचाए हुए हैंटूटने-बिखरने को हैं..बस यूं समझो..दीवार पर टंगें कैलंडर की तरह,सजाए हुए हैं।
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- रोहित कुमार 'हैप्पी' संपादक, भारत-दर्शन न्यूज़ीलैंड
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