यूँ तो जन्म-दिन मैं यूँ भी नहीं मनाता पर इस बार... जन्म-दिन बहुत रुलाएगा जन्म-दिन पर 'माँ' बहुत याद आएगी चूँकि... इस बार... 'जन्म-दिन मुबारक' वाली चिरपरिचित आवाज नहीं सुन पाएगी... पर...जन्म-दिन के आस-पास या शायद उसी रात... वो ज़रूर सपने में आएगी... फिर... 'जन्म-दिन मुबारिक' कह जाएगी इस बार मैं हँसता हुआ न बोल पाऊंगा... आँख खुल जाएगी... 'क्या हुआ?' बीवी पूछेगी और... उत्तर में मेरी आँख भर जाएगी। [16 जून 2013 को माँ छोड़ कर जो चल दी]
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- रोहित संपादक, भारत-दर्शन न्यूज़ीलैंड
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