देखे जो छवि
जड़ में चेतन की
वही तो कवि
किस्त चुकाते
चुक गया जीवन
चुके न खाते
दु:ख पाहुना
कुछ लेकर आया
देकर गया
घर में घर
आदमी में आदमी
फिर भी डर
-डॉ रामनिवास मानव
देखे जो छवि
जड़ में चेतन की
वही तो कवि
किस्त चुकाते
चुक गया जीवन
चुके न खाते
दु:ख पाहुना
कुछ लेकर आया
देकर गया
घर में घर
आदमी में आदमी
फिर भी डर
-डॉ रामनिवास मानव