'च' ने चिड़िया पर कविता लिखी। उसे देख 'छ' और 'ज' ने चिड़िया पर कविता लिखी। तब त, थ, द, ध, न, ने फिर प, फ, ब, भ और म, ने 'य' ने, 'र' ने, 'ल' ने इस तरह युवा कविता की बारहखड़ी के सारे सदस्यों ने चिड़िया पर कविता लिखी।
चिड़िया बेचारी परेशान उड़े तो कविता न उड़े तो कविता।
तार पर बैठी हो या आँगन में डाल पर बैठी हो या मुंडेर पर कविता से बचना मुश्किल मारे शरम मरी जाए।
एक तो नंगी, ऊपर से कवियों की नज़र क्या करे, कहाँ जाए बेचारी अपनी जात भूल गई घर भूल गई, घोंसला भूल गई। कविता का क्या करे ओढ़े कि बिछाए, फेंके कि खाए मरी जाए कविता के मारे नासपीटे कवि घूरते रहें रात-दिन।
एक दिन सोचा चिड़िया ने कविता में ज़िंदगी जीने से तो मौत अच्छी मर गई चिड़िया बच गई कविता। कवियों का क्या, वे दूसरी तरफ़ देखने लगे। |