हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और उसका दृश्यरूप या उसकी लिपि सर्वगुणकारी नागरी ही है। - गोपाललाल खत्री।
सृजन पर दो हिन्दी रुबाइयां (काव्य)    Print  
Author:उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans
 

अनुभूति से जो प्राणवान होती है,
उतनी ही वो रचना महान होती है।
कवि के ह्रदय का दर्द, नयन के आँसू,
पीकर ही तो रचना जवान होती है॥

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सुगंध जिसमें न हो वो सुमन नहीं होता,
सुरा का घूंट कभी आचमन नहीं होता।
प्रसव की पीड़ा जरूरी है एक माँ के लिए,
बिना तपस्या के लेखन 'सृजन' नहीं होता॥

-उदयभानु 'हंस'
 राजकवि, हरियाणा

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