मेरे बेटे कुँए में कभी मत झाँकना जाना पर उस ओर कभी मत जाना जिधर उड़े जा रहें हों काले-काले कौए
हरा पत्ता कभी मत तोड़ना और अगर तोड़ना तो ऐसे कि पेड़ को जरा भी न हो पीड़ा
रात को रोटी जब भी तोड़ना तो पहले सिर झुकाकर गेहूँ के पौधे को याद कर लेना
अगर कभी लाल चींटियाँ दिखाई पड़ें तो समझना आँधी आने वाली है अगर कई-कई रातों तक कभी सुनाई न पड़े स्यारों की आवाज तो जान लेना बुरे दिन आने वाले हैं
मेरे बेटे बिजली की तरह कभी मत गिरना और कभी गिर भी पड़ो तो दूब की तरह उठ पड़ने के लिए हमेशा तैयार रहना
कभी अँधेरे में अगर भूल जाना रास्ता तो ध्रुवतारे पर नहीं सिर्फ दूर से आनेवाली कुत्तों के भूँकने की आवाज पर भरोसा करना
मेरे बेटे बुध को उत्तर कभी मत जाना न इतवार को पच्छिम
और सबसे बड़ी बात मेरे बेटे कि लिख चुकने के बाद इन शब्दों को पोंछकर साफ कर देना
ताकि कल जब सूर्योदय हो तो तुम्हारी पटिया रोज़ की तरह धुली हुई स्वच्छ चमकती रहे
- केदारनाथ सिंह |