दुनिया भर की सारी धार्मिक किताबों ने, एक सामूहिक अपील जारी की है… कि हम आपकी श्रद्धा और सम्मान के लिए हृदय से आभारी हैं… लेकिन काश आप हमें पूजने की बजाय पढ़ लेते! पढ़ने के साथ-साथ समझ लेते… समझने के साथ-साथ अपने जीवन में उतार लेते… अंत में बड़ी याचना से लिखा है… हमें हमारा स्वाभाविक परिवेश लौटायें हमें पूजाघरों से मुक्ति दिलाएं!!!
-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी |