तीन रंग से बना है, ध्वज यहाँ खड़ा शौर्य और शूरता से भव्य है बड़ा और जिसे देखकर वीर कह उठा सलाम हिंद केसरी, श्वेत और हरा आरती और अर्चना, सम्मान के लिये देश की आराधना और मान के लिये हिंद को सलाम करें, शान के लिये रात बीत ही गयी है, ये सुबह हुई आज जीत ही बिछी है, देख तो सही आज दिन नये को देखो तौलता आकाश रात है गयी धरा से बोलता आकाश राष्ट्र की है भावना, अभिमान के लिये देश की आराधना और मान के लिये हिंद को सलाम करें, शान के लिये आज़ाद का गगन है ये सुखदेव की धरा और भगत सिंह से है कौन सा बड़ा लाख अत्याचार से ये कोई ना झुका गांधी के हर सत्य में है राम ही छुपा मुक्त हों हर वेदना से, प्राण दे दिये देश की आराधना और मान के लिये हिंद को सलाम करें, शान के लिये सच में ये धरा मेरे किसान की भूमि खेत ये खलिहान बलिदान की भूमि क़लाम के प्रयोग और विज्ञान की भूमि जय हिंद जय जवान के आह्वान की भूमि जम्मू काशमीर और अंडमान की भूमि शिलोंग, मिज़ोरम, राजस्थान की भूमि राणा और शिवाजी के अटल आन की भूमि वीरों के पानीपत की है मैदान की भूमि सरहदों पे जागते जवान की भूमि आरती में शंख और अजान की भूमि बुद्ध की पदचाप और ध्यान की भूमि कबीर के दोहो से भरे ज्ञान की भूमि तुलसी ने करी साधना, जिस काम के लिये ये भूमि मेरी वंदना, उस राम के लिये देश की आराधना और मान के लिये हिंद को सलाम करें, शान के लिये।
-आशीष मिश्रा, ब्रिटेन |