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यह चिंता है वह चिंता है जी को चैन कहाँ मिलता है
फूल आनंद का बहुत खोजा, कब आता है, कब खिलता है
कहा किसी ने नहीं, "सुखी हूँ" देखा सबको व्याकुलता है
जीवन पथ पर जिन को देखा उन सब से मन की ममता है
कैसे कहा था तूने त्रिलोचन इष्ट आप ही आ मिलता है
-त्रिलोचन
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