दोस्तों के साथ बिताए लम्हों की याद दिलाते कई चित्र आज भी पुरानी सी. डी. में धूल के नीचे मात खाकर दराज़ के किसी कोने में चुप-चाप सोये हुए हैं। दबी यादें हवा के झोंकों के साथ मस्तिष्क तक आकर रुक जातीं, कुछ यादें अभी भी ताज़ा हैं कुछ धूमिल हो गईं समय के साथ, दोस्त तो अब भी मिलते हैं पेज को लाइक करने वाले फोटो पर कमेंट करने वाले स्टेटस पर जोक करने वाले। नए दोस्त भी मिले तारीफ करने वाले, तारीफ भरे शब्दों के साथ स्माइलीज़ को मुंह पर चिपकाए घण्टों चैट पर ठहाके लगाने वाले। अब नहीं मिलते वे दोस्त लेकिन ... अब नहीं मिलते! नज़रें बार-बार उसी दराज़ तक जाकर रुक जातीं दोस्ती की उन यादों पर धूल अभी भी जमी है, परतें इतनी कि नहीं दिखते वे दोस्त अब वे दोस्त ... जिनके मन की बात को जानने के लिए स्माइलीज़ की ज़रूरत नहीं पड़ती अपनी दोस्ती की गहराई दिखाने के लिए लाइक कमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ती एक सेकंड के लॉग इन के फासले पर बैठे दोस्त... अब नहीं मिलते वे दोस्त अब नहीं मिलते।
-श्रद्धांजलि हजगैबी-बिहारी ईमेल : hajgaybeeanjali@gmail.com |