आशा है तुम सकुशल होगी शुभकामनाएं और तुम्हारी भावी यात्रा के बारे में कुछ राय
सुनो तुम्हें क्या पता है कि तुम यहाँ से एक गंध लेकर गई थी अनचाही गंध
गंध तुम्हारी मां के मसालों की उसकी झिड़कियों उसके प्यार की गंध किताबों के शैल्फ की मेरे स्टडी रूम के दरवाजे, खिड़कियों से छन -छन कर तुम्हारे भीतर चाहे -अनचाहे चले गए विचार की
मैं जानता हूँ तुम्हें यह गंध पसंद नहीं पर यह गंध तुम्हारे साथ चलेगी लोग तुम्हें इसी गंध से ही पहचानेंगे और एक दिन तुम इस गंध की अभ्यस्त हो जाओगी और शायद इससे प्यार करने लगो हो सकता है तुम फिर इसी गंध के आलोक में चीजों को पहचानना शुरू कर दो मैं जानता हूँ तुम्हारी हर चीज को अस्वीकार करने की आदत है लेकिन अकेले में ही सही तुम मानोगी हो सकता है हमारे विचारों में ना हो धार पर एक सद्भावना थी
सुनो मैं सीमाओँ में लुंजपुंज वर्तमान हूँ और तुम सीमाहीन भविष्य इसलिए मैं तुम्हें क्या राय दे सकता हूँ
मैं तुम्हें उड़ने से पहले कुछ निर्देश नहीं देना चाहता चूँकि मैं जानता हूँ कि गिरना उड़ान का ही हिस्सा है
यात्रा की थकान , दिशाभ्रम , संशय , यात्रा के जोखम तुम्हारे व्यक्तित्व को अलाव की तरह प्रकाशित कर देंगे जिसके प्रकाश में लोग पाएँगे अपनी मंजिल
हर स्थिति में तुम्हारे पास एक ताली है व्यक्ति नहीं , पुस्तक नहीं आत्मा का विवेक घनघोर अंधेर में उससे पूछना प्रश्न वह तुम्हें उत्तर देगा अगर तुम मान लोगी तो तुम्हें थपथपा कर तुममें गुम हो जाएगा अगर उसकी नहीं मानोगी तो प्रश्न की तरह खड़ा रहेगा जैसे यम के सामने खड़ा रहा था नचिकेता भूखा -प्यासा , जिद्दी , हठी, अडिग ठीक तुम्हारी तरह
मैं देखता हूँ तुम्हें एक लड़की से एक चिड़िया फिर एक लकीर फिर एक बिंदु बन अंतरिक्ष में गुम होते हुए कितने ग्रह , उपग्रह , अंतरिक्षों के अनचीन्हें स्थल इंतजार में है कि तुम वहां तक पहुंचो उन्हें स्पर्श कर उन्हें जीवन दो उनके अस्तित्तव की घोषणा करो और उनका व अपना होना सार्थक करो मैं तुम्हें अठारहवें जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूँ
- अनिल जोशी उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल शिक्षा मंत्रालय, भारत |