हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है। - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।
भटका हुआ भविष्य (काव्य)    Print  
Author:अनिल जोशी | Anil Joshi
 

उसने मुझे जब हिन्दी में बात करते हुए सुना,
तो गौर से देखा
और अपने मित्र से कहा--
'माई लेट ग्रैंडपा यूज्ड टु स्पीक इन दिस लैंग्वेज'
इस भाषा के साथ
मैं उसके लिए
संग्रहालय की वस्तु की तरह विचित्र था
जैसे
दीवार पर टंगा हुआ कोई चित्र था
जिसे हार तो पहनाया जा सकता है
पर
गले नहीं लगाया जा सकता।

उसके जीवन का फलसफा
बिल्कुल साफ है,
उसके पास
चंद तस्वीरों का एक कोलाज है
भोग, उपभोग, कैरियर, संभोग
इनसे जो तस्वीर बनती है
वह उसके लिए काफी है,
बेकार के पचड़ों के लिए
अभी उम्र बाकी है!

भारत उसके लिए एक पहेली है
वह भारत से ज्यादा
स्पेन के बारे में जानता है
क्योंकि स्पेन की एक लड़की
उसकी नवीनतम सहेली है

उसके जीवन का घड़ा बिल्कुल रीता है
वह नहीं जानता
क्या सीता है
क्या गीता है

पर उसे यहाँ तक कौन लाया
कौन है
जिसने उसे
अपनी मां का
नाम और पता तक नहीं बताया ।
अगर वह अपनी भाषा नहीं जानेगा
विश्वास कीजिए
माँ को माँ
और
पिता को पिता को नहीं मानेगा

उसके पिता जिस समय यहाँ आए
उस पीढ़ी के लोगों का यह सोच था
भाषा रंग और भारत
उनके लिए बोझ था
रंग का तो वे क्या करते पर
भाषा और भारत को उन्होंने जल्द से जल्द
जीवन से निकाला
और
दिमाग के कूड़ेदान में डाला

उनका कहना है
यह तो दूसरा ही जहां है
तुम ये बताओ
भारत में भी भारत की भाषाएं कहां हैं?

वह तर्क थे या बहाने थे,
बबूल बोया था
तो आम कहां से आने थे,
अब सफलता तो है
पर किसके साथ मनाएं?
किसके साथ बैठकर
ख़ुशी के गीत गाएँ

अब वह अश्वमेध का ऐसा घोड़ा है
जो दुनिया तो जीतजाएगा
पर जीतने के बाद
लौट कर क्या वापस घर आएगा?

वह एक शख्सियत है
जो जवाब भी बन सकती है और सवाल भी
वह एक चिंगारी है
जो राख भी बन सकती है और मशाल भी।

वह सुरंग के पास है
उसे पुकारो
उसे आवाज दो!

उसकी रगों में कुछ है
जो खौलता है
तुतलाता ही सही
अपनी भाषा तो बोलता है
उसे आवाज़ दो

भारत की जो भाषा और संस्कृति
देवताओं को
जमीन पर बुला सकती है
वह उसकी सोयी हुई शिराओं को भी
जगा सकती है
उसे आवाज़ दो

उसने आना है,
और हमने बुलाना है
वह आएगा अवश्य,
क्योंकि वही तो है
अपना
भटका हुआ भविष्य।

- अनिल जोशी
   उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल  
   शिक्षा मंत्रालय, भारत

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश