आज से आजाद अपना देश फिर से!
ध्यान बापू का प्रथम मैंने किया है, क्योंकि मुर्दों में उन्होंने भर दिया है नव्य जीवन का नया उन्मेष फिर से! आज से आजाद अपना देश फिर से!
दासता की रात में जो खो गये थे, भूल अपना पंथ, अपने को गये थे, वे लगे पहचानने निज वेश फिर से! आज से आजाद अपना देश फिर से!
स्वप्न जो लेकर चले उतरा अधूरा, एक दिन होगा, मुझे विश्वास, पूरा, शेष से मिल जाएगा अवशेष फिर से! आज से आजाद अपना देश फिर से!
देश तो क्या, एक दुनिया चाहते हम, आज बँट-बँट कर मनुज की जाति निर्मम, विश्व हमसे ले नया संदेश फिर से! आज से आजाद अपना देश फिर से!
-- हरिवंशराय बच्चन
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