भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
पत्थर के नहीं हैंये मेरे- तुम्हारे रिश्तेकी चोट सह लेंकिरच-किरच हो जायेंगेदेखो, कांच के रिश्ते हैं येखुद को सम्हालोकहीं टूट जायेऔर कोई टुकड़ापाँव तले आ गयातो फर्श लाल हो जायेगाऔर तुम्हारी इस तकलीफ का साक्षीकोई नहीं होगा।
-प्रीता व्यास न्यूज़ीलैंड
भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?
यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें