कोई है जिसके पैरों कि आहट से चौंक उठते हैं कान कोई है जिसकी याद भुला देती है सारे काम कोई है जिसकी चाह कभी बनती है कमजोरी कभी बनती है शक्ति कोई है जो कंदील सा टिमटिमाता है मन के सूने गलियारों में कोई है जो प्रतिध्वनि सा गूंजता है ह्रदय कि प्राचीरों में कौन है वो? तुम हो, तुम हो, तुम्हीं तो हो।
-प्रीता व्यास न्यूज़ीलैंड
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