हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है। - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।
नये सुभाषित (काव्य)    Print  
Author:रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar
 

पत्रकार

जोड़-तोड़ करने के पहले तथ्य समझ लो,
पत्रकार, क्या इतना भी तुम नहीं करोगे?

मुक्त देश

मुक्त देश का यह लक्षण है मित्र!
कष्ट अल्प, पर, शोर बहुत होता है।
तानाशाही का पर, हाल विचित्र,
जीभ बाँध जन मन-ही-मन रोता है।

ज्ञान

ज्ञान अर्जित कर हमें फिर प्राप्त क्या होता?
सिर्फ इतनी बात, हम सब मूर्ख हैं।

मूर्ख

प्रत्येक मूर्ख को उससे भी
कुछ बड़ा मूर्ख मिल ही जाता,
जो उसे समझता है पंडित,
जो उसका आदर करता है।

मित्र

शत्रु से मैं खुद निबटना जानता हूँ,
मित्र से पर, देव! तुम रक्षा करो।

अध्ययन

जब साहित्य पढ़ो तब पहले पढ़ो ग्रन्थ प्राचीन,
पढ़ना हो विज्ञान अगर तो पोथी पढ़ो नवीन।

-रामधारी सिंह 'दिनकर'
[नये सुभाषित, उदयांचल, 1957 ]

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