हे जीवन स्वामी तुम हमको जल सा उज्ज्वल जीवन दो! हमें सदा जल के समान ही स्वच्छ और निर्मल मन दो!
रहें सदा हम क्यों न अतल में, किंतु दूसरों के हित पल में आवें अचल फोड़कर थल में; ऐसा शक्तिपूर्ण तन दो!
स्थान न क्यों नीचे ही पावें, पर तप में ऊपर चढ जावें, गिरकर भी क्षिति को सरसावें ऐसा सत्साहस धन दो!
-सियारामशरण गुप्त
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