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हँस रहे हैं आजकई दुशासन।द्रोपदी को निर्वस्त्र देख।और झुके हुए हैंगर्दन वीरों के।सोच रहें है--इस आधुनिक जुग मेंकैसे वार करेंतीरों के।चीखती हुई उसअबला की पुकार सभी को खल रहा है।आज कृष्ण की जगहलोगों मेंदुर्योधन पल रहा है ।
-जैनन प्रसाद, फीजी
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