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क्या होता है कार मेंपास की चीज़ेंपीछे दौड़ जाती हैंतेज़ रफ़्तार में!
और यह शायदगति का ही कुसूर है,कि वही चीजदेर तकसाथ रहती हैजो जितनी दूर है ।
-अशोक चक्रधर
[सोची-समझी, प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली]
Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand
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