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Archive of मार्च-अप्रैल 2022 Issue
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आप सबको होली की शुभकामनाएं। इस बार होली की पौराणिक कथाएँ प्रकाशित की हैं। होली की कथाओं की एक पीडीएफ़ पुस्तिका भी आप डाउनलोड कर सकते हैं।
सदैव की भांति इस अंक में भी 'कथा-कहानी' के अंतर्गत कहानियाँ, लघु-कथाएं व बाल कथाएं। इस अंक के काव्य में सम्मिलित है - कविताएं, दोहे, भजन, बाल-कविताएं, हास्य कविताएं व गज़ल।
इस अंक में पढ़िए, प्रेमचंद की कहानी, 'होली का उपहार', यशपाल की 'होली का मज़ाक', दिव्या माथुर की, 'अंतिम तीन दिन' अरुणा सब्बरवाल की कहानी, 'छोटा सा शीश महल', हंसा दीप की, 'उसकी औक़ात', नीलिमा टिक्कु की कहानी, 'तुम्हारी नन्दिनी', माधवी श्रीवास्तवा की कहानी, 'सती का बलिदान'।
लघु-कथाओं में लक्ष्मी शंकर वाजपेयी की 'सैलाब' एवं 'सोनू की बंदूक', डॉ वंदना मुकेश की, 'वेबिनार', कमलेश भारतीय की 'खोया हुआ कुछ', सुभाष नीरव की, 'सेंध'।
लोक-कथाओं में इस बार नीरा सक्सेना की फ्रांस की एक लोक-कथा, 'भगवान सबका एक है' प्रकाशित की है।
व्यंग्य में इस बार पढ़िए, गोपालप्रसाद व्यास का हास्य-व्यंग, 'हिन्दी की होली तो हो ली', प्रेम जनमेजय का, 'कबीरा क्यों खड़ा बाजार', प्रो. राजेश कुमार का व्यंग्य 'अपने-अपने युद्ध, अपनी-अपनी झंडाबरदारी', डॉ सुरेश मिश्रा का, 'नए जमाने का एटीएम', परवेश जैन का व्यंग्य, 'नतमस्तक।
काव्य में इस बार मीराबाई, मैंथिलीशरण गुप्त, हरिऔध, फणीशवरनाथ रेणु, राजेश्वर वशिष्ठ, प्रीता व्यास, डॉ मनीष कुमार मिश्रा, आराधना झा श्रीवास्तव, पवन कुमार जैन, आनंद विश्वास, राकेश खंडेलवाल, आशीष मिश्रा, अशोक दीप, प्रिंस सक्सेना और प्रभजीत सिंह को पढ़ें।
इस अंक में बशीर बद्र, अरविंद कुमार सिंहानिया, निज़ाम-फतेहपुरी और डॉ राजीव सिंह की ग़ज़लें पढ़ें।
भारतीय काव्य में रसों में से हास्य रस प्रमुख रस है, 'एक ठाले की प्रार्थना' (पं॰ बद्रीनाथ भट्ट), नेतावाणी-वंदना (डॉ रामप्रसाद मिश्र), हुल्लड़ के दोहे (हुल्लड़ मुरादाबादी), ढ़ोल, गँवार...(सुरेन्द्र शर्मा) और दायरा (नेहा शर्मा) की रचनाएँ हास्य रस की छटा बिखेरती आपके मन में गुदगुदी पैदा कर देंगी और साथ ही आपको सोचने को भी मजबूर कर देंगी।
आलेखों में डॉ जगदीश गांधी का होली पर आलेख, 'गिर जाए मतभेद की दीवार होली में' पढ़ें। सुभाषिनी लता अपने आलेख, 'फीजी हिंदी : साहित्य एवं साहित्यकार' के माध्यम से फीजी का परिदृश्य प्रस्तुत कर रही हैं। शिखा रस्तोगी का आलेख, 'थाईलैंड में हिंदी' आपको वहाँ हिंदी की प्रगति से परिचित करवाएगा। प्रो॰ राजेश कुमार का आलेख, 'हिंदी में उर्दू शब्दों का इस्तेमाल' आपको नई दृष्टि प्रदान करने में सक्षम है। डॉ. वेदप्रताप वैदिक का आलेख, 'कैसे मनाएं होली' नैतिक सीख देता है। डॉ कुमार कौस्तुभ का आलेख, 'पुतिन- ‘अग्नि दीक्षा’ से ‘अग्नि परीक्षा’ तक' रशिया-यूक्रेन युद्ध की वर्तमान परिस्थितियों का विश्लेषण है।
चंद्रकांता इस बार हमारा परिचय 'हिमाचल की धाम संस्कृति' से करवा रही हैं।
होली से मिलते-जुलते कई त्योहार भारत से बाहर भी मनाए जाते हैं। इन्हीं त्योहारों का परिचय रोचक आलेख 'होली से मिलते जुलते त्योहार' में दिया गया है।
बाल साहित्य के अंतर्गत पंचतंत्र की कथा, शेख चिल्ली की कहानी और बच्चों की कविताएं सम्मिलित की गई हैं। यह अंक आपको भेंट।
भारत-दर्शन का सम्पूर्ण अंक पढ़ें।
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