रोटी बनाने के तीन भारतीय तरीके प्रचलित हैं - गूंथे आटे को चकले पर बेलकर, दोनों हाथों की हथेलियों से पीटते हुए फैलाकर, और हाथों में पानी लगाते हुए बढ़ाकर । इन्हें क्रमश: हाथ पाथी, थेली रोटी और पानी पाथी कहा जाता है।

आटे की लोई को चकले पर बेलने से पहले चकले को चुपड़ लेना चाहिए लेकिन अधिकतर गृहणियां आटे का पलेथन लेकर ही राटी बनाती है। पलेथन ज्यादा नहीं लेना चाहिए और बेलकर रोटी बनाने वाला आटा न ज्यादा पतला हो न ज्यादा कढ़ा । कढ़ा हो तो उसमें और पानी डालें और यदि अधिक कढ़ा हो तो उसमें और आटा मिलाएं ।

फिर तवे पर दोनों और से रोटी सेकें । पहले समय में रोटी को एक ओर से थोड़ा कम सिका छोड़ देते थे और उसे फिर अंगारों पर सेका जाता था। गैस व बिजली के चूल्हे पर भी ऐसा किया जा सकता है।

भारत के विभिन्न प्रांतों में रोटी के भिन्न-भिन्न प्रचिलत हैं जैसे फुल्का, चपाती इत्यादि।

सामान्यत: रोटी गेहूं के आटे से बनाई जाती है और सामान्य तौर पर भारतीय रसोई-घर में दिन में प्रतिदिन दो-तीन बार रोटी बनाई जाती है। गेहूं के आटे की रोटी के अतिरिक्त जौ की रोटी, मिस्सी रोटी, मकई की रोटी, चने की रोटी, बाजरे की रोटी, उड़द की रोटी, ज्वार की रोटी, गेहूं और मूंग की रोटी, सतनजे की रोटी भी बनाई जाती है।

यह तो हुई कितने प्रकार के आटे की रोटी बनती है लेकिन सादी रोटी के अतिरिक्त भरवां रोटी भी अत्यधिक लोकप्रिय हैं। जैसे कचौरी में तरह-तरह की चीज़ें भरी जाती हैं, उसी प्रकार रोटी में भी कई तरह की चीज़ें भरी जाती हैं। चना, मूंग, उड़द, मेथी, आलू, गोभी, मूली, प्याज, पनीर इत्यादि भरकर भरमा रोटी बनाई जाती है। कई बार घर में रात की बची सब्जी, दाल, चावल या खिचड़ी को भी गृहणियों बड़ी कुशलता से आटे में गूंथ कर अपनी पाक-कला का लोहा मनवा लेती हैं । रात में बचे चावलों में प्याज, हरीमिर्च, हरा धनिया काटकर भरवां परांठे पौष्टिक व स्वादिष्ट होते हैं जिन्हें नाश्ते में परोसा जा सकता है। आप इसमें मौसम और उपलब्धता के अनुसार बारीक कटी हरी पत्तियाँ जैसे कि पालक, मेथी, बथुआ, हरी धनिया, पुदीना, हरी प्याज इत्यादि भी मिला सकते हैं ।