पडी थी मैं अचानक चढ आयो।जब उतरयो पसीनो आयो।।सहम गई नहिं सकी पुकार।ऐ सखि साजन ना सखि बुखार।।
राह चलत मोरा अंचरा गहे।मेरी सुने न अपनी कहेना कुछ मोसे झगडा-टंटाऐ सखि साजन ना सखि कांटा
-अमीर ख़ुसरो